कौन हैं सैम बहादुर आइए जानते हैं | सैम बहादुर एक फ़ौजी थे हमारे देश के लिए हीन जाने कितने वीर पुरुषों ने अपनी बलिदानी दी हुई है अगर सैम बहादुर ने अपनी मातृभूमि के लिए बलिदानी नहीं दी होती,तो आज अपना देश का इतिहास कुछ और ही होता आज हम आपको एक ऐसे पुरुष के बारे में बताइए जिसने कितने बलिदान दिए हैं |
सैम मानेकशॉ जी ने अपने जीवनकाल में भारतीय सेना में बहुत महत्वपूर्ण भूमिका निभाई और उनका सहयोग ऐतिहासिक युद्धों के समय में बहुत मायने रखा। उनका समर्थन और सेना के प्रति उनका समर्पण भारतीय इतिहास में अत्यंत महत्वपूर्ण है। उनके बलिदानी योगदान ने बांग्लादेश के गठन में भी महत्वपूर्ण भूमिका निभाई थी और उनकी सेना के प्रति अपनी संकल्पित निष्ठा के लिए उन्हें सलाम किया जाता है।
1971 के युद्ध के समय, भारतीय सेना ने बांग्लादेश के स्वतंत्रता संघर्ष में बहुत महत्वपूर्ण भूमिका निभाई थी और उसकी जीत में सहायता पहुंचाई थी। इस युद्ध का परिणाम था कि दक्षिण एशिया में एक नया राष्ट्र, बांग्लादेश, की स्थापना हुई जिसका उदय हुआ। इतना ही नहीं द्वितीय विश्व युद्ध में भारत के इस वीर पुरुष का भी सहयोग रहा था.
सैम बहादुर का जन्म (Birthday)
सैम बहादुर का जन्म जन्म पंजाब के अमृतसर के एक फारसी परिवार 13 अप्रैल 1914 को हुआ था सैम बहादुर जी के पिता एक डॉक्टर थे और माता हाउस वाइफ थी कुछ समय बाद सैम बहादुर जी के पिता गुजरात राज्य के वलसाड शहर में आकर अपने परिवार सहित बस गए थे.
सैम बहादुर की शिक्षा (Education)
सैम बहादुर जी ने अपनी पढाई पंजाब और नैनीताल के शेरवुड कॉलेज से शिक्षा प्राप्त करने के बाद, वह कैंब्रिज बोर्ड की स्कूल सर्टिफिकेट परीक्षा में सफलता प्राप्त करने में सफल रहे।
सैम बहादुर का शुरूआती जीवन (Early Life)
सैम बहादुर जी के पिता डॉक्टर थे तो वो यही चाहते थे मेरा बेटा भी डॉक्टर बने इसी में अपना करियर बनाये और आगे बढे सैम जी का भी मन लगता था डॉक्टर की पढाई करने के लिए वो चाहते थे हम अपने भाई के पास लंदन जा के करूँ पर सैम बहुत छोटे थे इसलिए पिता जी ने अनुमति नहीं और बोले कुछ दिन इंतजार करो फिर भेज देगे पर उन्हें कुछ करना था पिता के ना करने बाद सैम ने देहरादून इंडियन मिलिट्री में आगे की पढाई करने का सोच लिया था और फिर प्रवेश परीक्षा के अंदर बैठने का निर्णय लिया और वे इस परीक्षा में सफल भी हुए थे.
1 अक्टूबर 1932 देहरादून से इंडियन मिलिट्री एकेडमी में ज्वाइन हुए. 4 फरवरी 1934 को ब्रिटिश इंडियन आर्मी में वे सेकंड लेफ्टिनेंट के तौर पर चुने गए.इसी समय से इनके सैनी जीवन का शुभारंभ हुआ था.
सैम जी का सैन्य जीवन (Army)
सैम बहादुर जी को आर्मी ज्वाइन करने के बाद उन्होंने लगभग 3-4 युद्ध में सामिल हुए हैं जिसमे उन्होंने पाकितान से
3 बार और चाइना से एक बार युद्ध हुआ हैं | इस व्यक्ति का सैन्य जीवन बहुत प्रेरणादायक है। उन्होंने अपने सैनिक जीवन में महान कटिबद्धता और सेवा की हूई है। उनकी योगदान को सराहना करते हुए, हम सभी उनका आभार व्यक्त करते हैं। उनका सम्मान और समर्थन हमारे लिए गर्व की बात है। इस व्यक्ति का सैन्य जीवन बहुत प्रेरणादायक है। उन्होंने अपने सैनिक जीवन में महान कटिबद्धता और सेवा की हूई है। उनकी योगदान को सराहना करते हुए, हम सभी उनका आभार व्यक्त करते हैं। उनका सम्मान और समर्थन हमारे लिए गर्व की बात है।
द्वितीय विश्व युद्ध मे सैम जी का योगदान
12 फ्रंटियर फोर्स रेजीमेंट का सम्बंध सैम मानेक्शॉ जी के साथ है, जिन्होंने बहुत वीरता और साहस से बर्मा में सेना के कार्यभार का संभाला था। उन्होंने जापानी सेना के खिलाफ बहादुरी से सामर्थ्य दिखाया और उन्होंने अपने योगदान से युद्ध में सफलता भी प्राप्त की थी। उनका योगदान इतिहास में महत्वपूर्ण है और हम सभी उन्हें उनके साहस और समर्पण के लिए सलाम करते हैं।
सैम को जख्मी हालत में रंगून के सेना के अस्पताल में भर्ती करना पड़ा था. डॉक्टरों ने उनकी स्थिति को देखकर स्पष्ट कर दिया था कि उन्हें अब बचाया नहीं जा सकता है. तभी सैम जी को होश आया और एक डॉक्टर ने पूछा, “आपको क्या हुआ है?” सैम जी ने हंसते हुए उत्तर दिया, “लगता है शायद किसी गधे ने मुझे लात मार दी है.”
डॉक्टर ने उनके जज्बे को देख इलाज करना शुरू कर दिया और उन्हें सफलतापूर्वक बचा भी लिया था. इस बहादुर योद्धा को बहुत से बड़े-बड़े जिम्मेदारी भरे कार्य सौपें गए, जिन्होंने सफलतापूर्वक उन्हें पूरा किया है।
सैम जी को मिले पुरस्कार एवं उपलब्धियां (Award and Achievement)
इस वीर पुरुष और मातृभूमि की सेवा करने वाले व्यक्ति को भारतीय सेना द्वारा कुछ सम्मान से सम्मानित किया गया है, जो इस प्रकार निम्नलिखित हैं.
पद्म विभूषण और पद्म भूषण भारत सरकार द्वारा प्रदान किए जाने वाले उच्चतम सिविल सम्मान हैं, जो विभिन्न क्षेत्रों में उत्कृष्टता के लिए प्रदान किए जाते हैं। सैन्य क्रांस एक सैन्य सम्मान है जो भारतीय सेना द्वारा वीरता और उदारता के लिए प्रदान किया जाता है।
1.पद्म विभूषण
2.पद्म भूषण
3.सैन्य क्रांस
सैम जी के रोमांचक जीवन पर आधारित बायोपिक फिल्म (Biopic Film)
सैम जी की जीवनी पर एक फिल्म बन रही है, और विक्की कौशल जी ने इसमें लीड रोल निभाने का आनंद लिया है। इससे समाज को सैम जी के वीरता और सेवा के प्रति आभास होगा। मूवी का बजट 75 करोड़ रुपये के लिए अनुमानित है, और यह एक बड़ी पैम्पर और उच्च उत्कृष्टता की फिल्म बनने की संकेत देता है। 1 दिसंबर 2023 को मूवी का रिलीज होना इसे और भी महत्वपूर्ण बना देता है, क्योंकि इस दिन सिनेमा दर्शकों को यह अद्वितीय कहानी देखने का मौका मिलेगा।
सैम मानेकशॉ जी का निधन (Death)
सैम मानेकशॉ जी का निधन 27 जून 2008 को हुआ था, और उन्हें निमोनिया बीमारी से ग्रस्त होकर तमिलनाडु के हॉस्पिटल वेलिंगटन में स्वर्गवास प्राप्त हुआ था। उनकी उम्र इस समय 94 वर्ष थी। उनका निधन एक महत्वपूर्ण समय में हुआ और उनके जीवन और सेना के प्रति उनके समर्पण को समर्पित किया गया। उनके प्रति सदैव श्रद्धांजलि।
FAQs
Q: सैम मानेकशॉ का पूरा नाम क्या था?
A: सैम हॉर्मूसजी फ्रेमजी जमशेदजी मानेकशॉ
Q: सैम मानेकशॉ के क्या महत्वपूर्ण कार्य थे?
A: सैम मानेकशॉ भारतीय सेना के एक वीर सेनानायक थे और उन्हें 1971 के भारत-पाक युद्ध में उनकी शौर्य गाथा के लिए याद किया जाता है।
Q: सैम मानेकशॉ के कौन-कौन से पुरस्कार थे?
A: सैम मानेकशॉ को पद्म विभूषण और पद्म भूषण जैसे उच्च सामरिक पुरस्कारों से सम्मानित किया गया था।